विवाह में मान-सम्मान का प्रतीक माने जाने वाली टीका प्रथा को लेकर अब सामाजिक बदलाव की लहर आ रही है। ऐसा ही बदलाव बुधवार को राजपूत समाज की शादी में देखने को मिला।
शादी में दुल्हन पक्ष की ओर से दिए टीका प्रथा के लिए दिए गए 11 लाख रूपये की थाली को लेने से जहां इंकार कर दिया तो वहीं बिना दहेज की शादी कर मिसाल कायम की।
गांव चंदेेनामाल (शामली) निवासी जितेन्द्र सौलंकी की बेटी भावना की बारात नानौता क्षेत्र के गांव कुआंखेडा से बुधवार को नगर के दिल्ली रोड स्थित एक बैंकेट हाॅल में पंहुची थी।
शादी के दौरान टीका प्रथा के लिए जब दुल्हन पक्ष 11 लाख रूपये की थाली लेकर दूल्हे देवराज सिंह पुत्र प्रमोद राणा के पास पंहुचा तो दूल्हे ने थाली में से सिर्फ एक रूपया शगुन के तौर पर स्वीकार करते हुए थाली उठाकर टीके की राशि सह-सम्मान तरीके से वापस लौटा दी।
समाज को संदेश –
दूल्हे के पिता व समाजसेवी प्रमोद राणा ने कहा कि बेटा व बेटी दोनों एक समान है। टीका राशि से हम बेटियों की बोली नहीं लगा सकते है। वर्तमान युग में हमें पुरानी सोच से ऊपर उठकर इसी रीति रिवाज को समाप्त करना चाहिए। एक पिता पर टीका व दहेज का बोझ देना गलत है।
दूल्हा व दुल्हन का परिवार –
दूल्हे के पिता प्रमोद राणा किसान के साथ अपना व्यवसाय भी करते है। जबकि दुल्हन के पिता भी गांव में किसान है और उन्होनें कहा कि उन्होनें अपनी बेटी की पढाई पर सबसे अधिक जोर दिया है।
दुल्हन के पिता द्वारा दिया गया टीका राशि लौटाने व दहेज रहित शादी करने के बाद वहां मौजूद समाज के लोगों ने दूल्हे के पिता को धन्यवाद देते हुए समाज में अच्छा संदेश पंहुचाने पर हर्ष जताया है
रिपोर्ट : अरविन्द सिसौदिया