उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में 32 महीनों के लंबे इंतज़ार के बाद आज कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया। कोर्ट ने रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य, और उसके सहयोगी सौरभ भास्कर व अंकित गुप्ता को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाना), और 354 (छेड़खानी) के तहत दोषी पाया।

कोर्ट ने तीनों दोषियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है और 50-50 हज़ार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। इसके साथ ही कोर्ट ने पीड़िता के परिजनों को चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का आदेश दिया है।
मामला क्या था?
18 सितंबर 2022 की रात वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। उसके शव को चीला शक्ति नहर में फेंक दिया गया था, जिसे एक सप्ताह बाद बरामद किया गया। हत्या का कारण था – तीनों आरोपी अंकिता पर अनैतिक कार्यों के लिए दबाव बना रहे थे, और विरोध करने पर उसे मौत के घाट उतार दिया गया।

न्याय प्रक्रिया की लंबी यात्रा
- 30 जनवरी 2023: कोटद्वार एडीजे कोर्ट में पहली सुनवाई
- 28 मार्च 2023: अभियोजन पक्ष की गवाही शुरू हुई
- कुल 97 में से 47 अहम गवाह अदालत में पेश किए गए
- अभियोजन पक्ष ने 500 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया
- 19 मई 2025: दोनों पक्षों की बहस पूरी हुई
- 30 मई 2025: कोर्ट ने तीनों को दोषी ठहराया और सज़ा सुनाई
कोर्ट परिसर में सुरक्षा के विशेष इंतज़ाम
कोर्ट परिसर और आसपास के इलाकों में पुलिस बल की भारी तैनाती रही। पौड़ी, देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और उत्तरकाशी जिलों से पुलिस बल बुलाया गया। 200 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू की गई थी। कोर्ट का फैसला सुनाए जाने से पहले भारी भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में रखा।
परिजनों की प्रतिक्रिया
हालांकि कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक माना जा रहा है, लेकिन अंकिता के माता-पिता इस निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा:
“हमारी बेटी को मौत दी गई, और इन दरिंदों को उम्रकैद दी गई? हम चाहते थे कि उन्हें फांसी की सजा मिले। हम हाईकोर्ट में अपील करेंगे।”

आगे क्या?
परिवार द्वारा हाईकोर्ट में फांसी की मांग को लेकर अपील दायर किए जाने की तैयारी की जा रही है। वहीं राज्य के विभिन्न हिस्सों में लोगों ने फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है — कुछ इसे न्याय की जीत मान रहे हैं, तो कुछ इसे अधूरा इंसाफ कह रहे हैं।
निष्कर्ष:
अंकिता भंडारी केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। लंबे समय तक चली कानूनी लड़ाई और जनआक्रोश के बाद कोर्ट के फैसले ने एक अहम मोड़ लिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि हाईकोर्ट में यह मामला किस दिशा में बढ़ता है।