सहारनपुर।
नगर निगम के जलकल अनुभाग में सरकारी कामों के लिए टेंडर लेने को लेकर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। दो अलग-अलग फर्मों ने फर्जी अनुभव प्रमाणपत्रों के सहारे नगर निगम से ठेका हासिल कर लिया। लेकिन जब इन दस्तावेजों की जांच हुई, तो पूरी साजिश का खुलासा हो गया। इसके बाद नगर निगम ने दोनों फर्मों को ब्लैकलिस्ट कर दिया और अब उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा भी दर्ज करा दिया गया है।

मामला थाना कुतुबशेर क्षेत्र से जुड़ा है। नगर निगम के अवर अभियंता (जल) नितिन सक्सेना और विनीत राणा ने इस संबंध में थाना कुतुबशेर में तहरीर देकर कार्यवाही की मांग की थी।
तहरीर के अनुसार, पहली फर्म ‘शाह इलेक्ट्रिक वर्क्स’ है, जिसके प्रोपराइटर शाहनवाज बताए गए हैं। इस फर्म को हैंडपंप अधिष्ठापन एवं रिबोर कार्य का टेंडर मिला था। लेकिन जांच में पाया गया कि फर्म ने टेंडर में फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र लगाया था। हैरान करने वाली बात यह है कि 30 मार्च 2024 को इस फर्म को ठेका दे भी दिया गया था, लेकिन बाद में दस्तावेजों की जांच में गड़बड़ी पकड़ी गई और निगम ने 31 मार्च 2025 को इस फर्म को ब्लैकलिस्ट कर दिया।
दूसरी फर्म ‘उमंग एंटरप्राइजेज’ है, जिसके प्रोपराइटर उमर फारूक हैं। इस फर्म को पाइपलाइन बिछाने का टेंडर दिया गया था। जांच में पाया गया कि इस फर्म ने भी टेंडर के दौरान फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र लगाया था। जांच के बाद इस फर्म को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।
बताया गया है कि तत्कालीन नगर आयुक्त संजय चौहान ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों फर्मों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उनके निर्देश पर अवर अभियंता (जल) नितिन सक्सेना और विनीत राणा ने थानाध्यक्ष को पत्र भेजकर संबंधित फर्मों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की। अब थाना कुतुबशेर पुलिस ने दोनों फर्मों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
इस घटना ने नगर निगम की टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता और दस्तावेज सत्यापन प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। निगम सूत्रों के अनुसार, अब भविष्य में टेंडर प्रक्रिया को और सख्त करने की तैयारी की जा रही है ताकि इस तरह की धोखाधड़ी दोबारा न हो सके।
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि यदि ऐसे मामलों पर समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं की जाए, तो न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग होता है, बल्कि सार्वजनिक हितों को भी भारी नुकसान पहुंचता है।