सहारनपुर के गंगोह क्षेत्र में पुलिस ने ऐसा उदाहरण पेश किया है, जिसने इंसानियत को एक नई परिभाषा दी है। जहां अक्सर पुलिस को सख्ती और कार्रवाई के लिए जाना जाता है, वहीं इस बार गंगोह थाना पुलिस ने एक गरीब मां और उसकी बेटी की जिंदगी में उम्मीद की किरण बनकर दिल जीत लिया।

गरीबी और बेबसी में डूबी थी मां-बेटी की दुनिया
गंगोह के लखनौती रोड स्थित बिजलीघर के पास रहने वाली लाडो नाम की महिला अपने पति की मौत के बाद अकेले अपनी 21 वर्षीय बेटी की परवरिश कर रही थीं। पति के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी पूरी तरह से लाडो के कंधों पर आ गई। आर्थिक तंगी ऐसी थी कि दो वक्त की रोटी भी मुश्किल हो चली थी। इन हालात में बेटी की शादी करना लाडो के लिए एक असंभव सपना बन चुका था।
पुलिस को मिली जानकारी, फिर जो हुआ उसने दिल जीत लिया
कोतवाली गंगोह के प्रभारी निरीक्षक पीयूष दीक्षित को जब इस परिवार की दास्तान पता चली, तो उन्होंने इंसानियत का फर्ज निभाने में एक पल की भी देर नहीं की। वे न सिर्फ मदद के लिए आगे आए, बल्कि अपनी टीम के साथ मिलकर बेटी की शादी को यादगार बनाने की जिम्मेदारी खुद उठाई।
सिर्फ सुरक्षा नहीं, संवेदना भी है पुलिस के पास
थाना गंगोह पुलिस ने परिवार को जरूरत का फर्नीचर, घरेलू सामान, जेवरात, और धनराशि भेंट की, ताकि शादी सम्मानजनक ढंग से हो सके। इस मदद के चलते विवाह पूरे सामाजिक रीति-रिवाजों और हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। लाडो की आंखों में आंसू थे, लेकिन इस बार ये आंसू दुःख के नहीं, शुक्रगुज़ारी के थे।
लोगों में तारीफों की बौछार
स्थानीय लोगों ने इस मानवीय पहल की सराहना करते हुए गंगोह पुलिस को सलाम किया। इंसानियत की यह मिसाल दिखाती है कि पुलिस सिर्फ अपराध रोकने वाली संस्था नहीं है, बल्कि जब जरूरत पड़ी, तो यह समाज की सेवा और संवेदना की सबसे बड़ी ताकत भी बन सकती है।